कृषि बिल और खालिस्तानी सच्चाई

मेरे एक ट्वीट पर किसी ने ये जवाब दिया, ऐसा लगता है कि भाजपा ने आज तक कृषि बिल के बारे में जागरूकता फैलाने और इसके पीछे का मर्म क्या था, इस बारे में कोई प्रयास नहीं किया है। मेरे जैसे आम नागरिक को यह क्यों समझाना पड़ रहा है कि कृषि बिल क्या है, सरकार ने बेहतर जागरूकता अभियान क्यों नहीं चलाया?

भाई मैं कृष्ण भक्त हूं। मैं भी एक किसान भी हूं। किसानों के लिए कुछ नहीं किया बीजेपी ने,बस हमारे लिए जाल कॉरिडोर बचाएं उन्होंने।अगर तुम्हें लगता है 10 लाख वोट खालिस्ताने ने डाला है तो फिर अरेस्ट करो भाई क्या देख रहे हो? फिर तो मैं भी खालिस्तानी । मैं भी वोट अमृतपाल को ही डाला है।
इस भाई के जवाब से मुझे ये साफ हो गया कि कैसे किसानों को भ्रामिक करके उनकी तकलीफों को सरकार की करतूत बता दिया गया और उनके जाने बिना ऊँहे खालिस्तानी मानसिकता की तरफ ले जाया जा रहा है। मेरा जवाब उस भाई के लिए ये था जो मैं नीचे लिख रहा हूं।

बहुत सही कहा, पुरखे मेरे भी किसान थे, अब किसानी नहीं करते इसका मतलब ये नहीं के मुझे ज़मीन से जुड़ी असलियत नहीं पता।
कृषि बिल आया था किसानों की सहायता के लिए, उसमे कहीं ये नहीं लिखा था के किसान को अपनी फसल सिर्फ बड़ी कंपनियों को बेचनी है, बस ये लिखा था के ये भी एक विकल्प होगा किसानो के पास, उस पूरे बिल को यह कह के नाकारा गया के ये MSP के ख़िलाफ़ है।
मै आसानी के लिए समझाता हूँ, MSP लगाने का मतलब है सरकार के ऊपर कर्ज़, इस MSP को साल दर साल सरकार को भरना पड़ेगा, चाहे उस फसल की ज़रूरत हो या ना हो। बड़ी कंपनियों को बीच मे लाने का मतलब है वो पैसे डालेंगी और अगर कहीं सूखा पड़ता है तो कंपनी बाजार से ज्यादा भी पैसे दे सकती है।
अब सोचो किसने इस बिल को नकारा? उस बिचौलिए (आढ़ती) ने जो आज किसान से फसल खरीद कर बाजार में बेचता है। असली पैसा वो कमाता है, क्यूंकि किसान को नहीं पता कहाँ फसल के बढ़िया दाम मिल सकते हैं।
यही हमारे देश की समस्या है, कोई सही सवाल नहीं पूछता और कुछ पैसों के लिए, अपने स्वार्थ के लिए देश के किसान का नुकसान हो तो किसको परवाह है।
मैं मानता हूं कोई भी विकल्प सटीक नहीं होता, लेकिन जिस भावना से वो लाया जा रहा है अगर वो सही है तो कुछ चीजें समय के साथ और बेहतर हो जाती हैं। 🙏🙏
खालिस्तानी इसी स्वार्थ का फायदा उठा रहे हैं, कृपया इस फर्क़ को समझिए 🙏🙏